Sep 8, 2013

जीवन एवम मोक्ष की परिभाषा


मानव जन्म आत्मा का अल्पविराम है और मोक्ष पूर्णविराम। इस अल्पविराम से पूर्णविराम तक की यात्रा जीवन है। देहरूप में जन्म लेने पर धीरे धीरे देह -मन कई मोह पासों में और कई भाव पासों में बंधता है।

मोह अधिकांशतया रिश्तो का होता है तथा क्रोध, इर्षा, प्रतिशोध रूपी भाव भी देह को, मन को बंधनों में बांधता है। जब आत्मा मोक्षरूपी पूर्णविराम के प्रति सजग होती है तब एक-एक कर सभी पासों से आत्मा मुक्त होना चाहती है।

मोक्ष प्राप्ति का अर्थ देहत्याग नहीं है। बल्कि देहभाव से, मोह पास से मुक्ति का अर्थ है मोक्ष --- पुज्या गुरुमा
 
समर्पण साहित्य (माँ ) पुष्प-१, पेज २५६  



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