जीवन में जितना महत्व गति का है, उससे भी अधिक महत्व दिशा का है। समर्पण ध्यान में गति से अधिक महत्व दिशा का होता है क्योंकि दिशा का ध्यान नहीं रह जाने पर समय और शक्ति दोनों खर्च हो जाते है और हासिल कुछ नहीं होता है।
- पूज्य गुरुदेव, 'हिमालय का समर्पण योग' - ४
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